प्रिय मित्रो।
नमस्कार।
कल एक पुराने मित्र से मुलाकात हुई जो कि यम बी ए में हमारे साथ था। बहुत ही अच्छा लगा सच में दोस्ती होती ही ऐसी है। तो उन्ही दोस्तों के नाम पेश है ' हसरत जयपुरी' की कलम से निकली ए ग़ज़ल..............
एहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तों
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों
बनता है मेरा काम तुम्हारे ही काम से
होता है मेरा नाम तुम्हारे ही नाम से
तुम जैसे मेहरबां का सहारा है दोस्तों
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों
जब आ पडा है कोई भी मुश्किल का रास्ता
मैंने दिया है तुम को मुहब्बत का वास्ता
हर हाल में तुम्हीं को पुकारा है दोस्तों
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों
यारों ने मेरे वास्ते क्या कुछ नहीं किया
सौ बार शुक्रिया अरे सौ बार शुक्रिया
बचपन तुम्हारे साथ गुज़ारा है दोस्तो
ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों
उम्मीद है कि दोस्तों को जरुर पसंद आयेगी...
धन्यवाद ।
आपका वैभव।
6 टिप्पणियां:
bahut khoob
बहुत अच्छी गज़ल हैिसे पढवाने के लिये शुक्रिया। शुभकामनायें
वाह!
मज़ा आ गया
ब्लोग्वानी सदस्य के रूप में आपका स्वागत है
हसरत जयपुरी साहब की इस शानदार ग़जल के लिए धन्यवाद् .
Welcome
Bada yaadgaar geet hai yah!
Snehil swagat hai...
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