आज एक रेड लाइट पर वो अचानक दिखी .....
थोड़ी सी भर गयी है ....
पर ये वजन जँच रहा था उस पे
आँखों में उसकी आज भी वही कशिश है ..
पर सूनापन सा था उसकी नजरों में ......
हाथों में मेरा दिया हुआ कंगन घूम रहा था ....
आँचल उसने यूँ लहरा के ओढ़ा की
मेरी नजरें उनके हुस्न से हट न सकी
पर लाइट हरी हो गयी और वो फिर से चली गई .....
मैं तनहा था ...तनहा रह गया .....
थोड़ी सी भर गयी है ....
पर ये वजन जँच रहा था उस पे
आँखों में उसकी आज भी वही कशिश है ..
पर सूनापन सा था उसकी नजरों में ......
हाथों में मेरा दिया हुआ कंगन घूम रहा था ....
आँचल उसने यूँ लहरा के ओढ़ा की
मेरी नजरें उनके हुस्न से हट न सकी
पर लाइट हरी हो गयी और वो फिर से चली गई .....
मैं तनहा था ...तनहा रह गया .....