शनिवार, 31 अगस्त 2013

रेड लाइट

आज एक रेड लाइट पर वो अचानक दिखी .....
थोड़ी सी भर गयी है ....
पर ये वजन जँच रहा था उस पे
आँखों में उसकी आज भी वही कशिश है ..

पर सूनापन सा था उसकी नजरों में ......
हाथों में मेरा दिया हुआ कंगन घूम रहा था ....

आँचल उसने यूँ लहरा के ओढ़ा  की
मेरी नजरें उनके हुस्न से हट न सकी

पर लाइट हरी हो गयी और वो फिर से चली गई .....
मैं तनहा था ...तनहा रह गया .....

मैं हारा नहीं हूँ

मैं हारा नहीं हूँ अभी ....                                              
अभी उठूँगा मैं ...                                                        ..
लडूंगा मैं ....
फिर गिरूंगा मैं ...
फिर सम्भलूँगा मैं ...

मैं हारा नहीं हूँ अभी .....
थोडा थका हूँ मैं ....
थोडा रुका हूँ मैं ...
थोडा गिरा  हूँ मैं ....
फिर सम्भ्लूँगा मैं

मैं हारा नहीं हूँ अभी ....
मुश्किलों के भवर में डूबा  हूँ मैं ....
हालातों के जालों में फंसा  हूँ मैं
जीवन के हालातों में फंसा  हूँ मैं   ....
फिर सम्भ्लूँगा मैं ..

मैं हारा नहीं हूँ अभी ...
वक्त का मारा हुआ हूँ मैं ....
किस्मत का ठुकराया हुआ हूँ मैं ....
अपनों का गिराया हूँ मैं ....
फिर सम्भ्लूँगा मैं ....

मैं हरा नहीं हूँ अभी ....