आज एक रेड लाइट पर वो अचानक दिखी .....
थोड़ी सी भर गयी है ....
पर ये वजन जँच रहा था उस पे
आँखों में उसकी आज भी वही कशिश है ..
पर सूनापन सा था उसकी नजरों में ......
हाथों में मेरा दिया हुआ कंगन घूम रहा था ....
आँचल उसने यूँ लहरा के ओढ़ा की
मेरी नजरें उनके हुस्न से हट न सकी
पर लाइट हरी हो गयी और वो फिर से चली गई .....
मैं तनहा था ...तनहा रह गया .....
थोड़ी सी भर गयी है ....
पर ये वजन जँच रहा था उस पे
आँखों में उसकी आज भी वही कशिश है ..
पर सूनापन सा था उसकी नजरों में ......
हाथों में मेरा दिया हुआ कंगन घूम रहा था ....
आँचल उसने यूँ लहरा के ओढ़ा की
मेरी नजरें उनके हुस्न से हट न सकी
पर लाइट हरी हो गयी और वो फिर से चली गई .....
मैं तनहा था ...तनहा रह गया .....
3 टिप्पणियां:
Sahi kaha janab......
आपने एक खूबसूरत पोस्ट लिखी और उसे एक धांसू शीर्षक से पाठकों तक पहुंचाया , हमने उसे सहेज़ लिया अपनी बुलेटिन के उस पन्ने के लिए जो आप तक ही और आप जैसे अन्य मित्र ब्लॉगरों तक पहुंचाने के लिए , बस एक चुटकी भर मुस्कुराहट मिला दी है , देखिए खुद ही ..आप आ रहे हैं न ..आज की बुलेटिन पर
सुन्दर ,सरल और प्रभाबशाली रचना। बधाई।
कभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
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